संसद टीवी संवाद

हाल ही में भूमि अधिग्रहण से संबंधित एक मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि “राज्य द्वारा उचित न्यायिक प्रक्रिया का पालन किये बिना नागरिकों को उनकी निजी संपत्ति से ज़बरन वंचित करना मानवाधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत प्राप्त संवैधानिक अधिकार का भी उल्लंघन होगा।” सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक, कानून से शासित किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्य कानून की अनुमति के बिना नागरिकों से उनकी संपत्ति नही छीन सकता। न्यायालय ने यह भी कहा कि कानून से संचालित कल्याणकारी सरकार होने के नाते सरकार संवैधानिक सीमा से परे नहीं जा सकती।

विद्या देवी बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार व अन्य’ मामला:

भूमि अधिग्रहण क्या है?

भूमि अधिग्रहण से आशय (भूमि खरीद की) उस प्रक्रिया से है, जिसके तहत केंद्र या राज्य सरकार सार्वजनिक हित से प्रेरित होकर क्षेत्र के बुनियादी विकास, औद्योगीकरण या अन्य गतिविधियों के लिये नियमानुसार नागरिकों की निजी संपत्ति का अधिग्रहण करती हैं। इसके साथ ही इस प्रक्रिया में प्रभावित लोगों को उनके भूमि के मूल्य के साथ उनके पुनर्वास के लिये मुआवज़ा प्रदान किया जाता है।

भूमि अधिग्रहण कानून की आवश्यकता क्यों?

देश के विकास के लिये जहाँ औद्योगीकरण जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देना ज़रूरी है, वहीं सरकार के लिये यह भी सुनिश्चित करना अतिआवश्यक है कि विकास की इस प्रक्रिया में समाज के कमज़ोर वर्ग के हितों को क्षति न पहुँचे। भू-अधिग्रहण प्रक्रिया में सरकार एक मध्यस्थ की भूमिकायें निम्नलिखित कार्य करती है-

भूमि अधिग्रहण के लिये कानूनी प्रावधान:

ब्रिटिश शासन के दौरान ऐसे अनेक प्रावधान बनाए गए जिनके माध्यम से ब्रिटिश सरकार आसानी से भू-मालिकों की ज़मीन बिना उनकी अनुमति के ले सकती थी।

भारत में कई अन्य महत्त्वपूर्ण कानूनों की तरह ही लंबे समय तक (भूमि अधिग्रहण अधिनियम-2013 लागू होने से पहले तक) भूमि अधिग्रहण के लिये ब्रिटिश शासन के दौरान बने भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894 का अनुसरण किया गया।

भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894

इस अधिनियम के तहत कुछ सामान्य प्रक्रियाओं का पालन कर सरकार आसानी से किसी भी भूमि का अधिग्रहण कर सकती थी। भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894 के अनुसार, भूमि अधिग्रहण की कुछ महत्त्वपूर्ण अनिवार्यताएँ निम्नलिखित हैं-

भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया:

इसके अतिरिक्त अधिनियम में अपवाद के रूप में कुछ ‘इमरजेंसी क्लॉज़ (Emergency Clause)’ को चिन्हित किया गया था। जिनका उपयोग कर सरकार पूरी तरह से अनिवार्य प्रक्रिया का पालन किये बिना भी भूमि अधिग्रहण कर सकती थी।

भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894 की कमियाँ:

भूमि अधिग्रहण अधिनियम-2013:

चुनौतियाँ :

आज भी भारतीय कामगारों में एक बड़ी संख्या उन अकुशल लोगों (मज़दूरों) की है जो असंगठित क्षेत्र में शामिल हैं और कृषि, कुटीर उद्योग आदि से अपना जीवन-यापन करते हैं। भूमि-अधिग्रहण से ऐसे लोगों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

उद्योगों के लिये चुनौतियाँ:

विशेषज्ञों के अनुसार, भूमि अधिग्रहण के लिये वर्ष 1894 का अधिनियम जहाँ सरकार और निजी संस्थाओं को अधिक शक्ति प्रदान करता था, वहीं भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के लागू होने से उद्योगों के लिये भूमि का अधिग्रहण करना बहुत ही जटिल हो गया है और साथ ही भूमि का मूल्य बढ़ने से इसका प्रत्यक्ष प्रभाव बाजार और औद्योगिक इकाइयों पर देखा गया है। विश्व बैंक द्वारा वर्ष 2019 में जारी ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस इंडेक्स’ (Ease of Doing Buisness Index) में भारत 190 देशों में 63वें स्थान पर रहा।

निष्कर्ष: भूमि अधिग्रहण मामले में सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला किसानों और भूमि पर निर्भर अन्य लोगों के लिये एक बड़ी जीत है। न्यायालय ने अपने फैसले के माध्यम से न सिर्फ न्यायपालिका के प्रति जनता के विश्वास को मजबूत किया है बल्कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधनों को लेकर हालिया गतिविधियों के संदर्भ में विधायिका को भी एक महत्त्वपूर्ण संदेश दिया है। अतः सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को ध्यान में रखते हुए भविष्य में ऐसी नीतियों का निर्माण करना चाहिए जिससे आर्थिक विकास और कृषि के बीच के संतुलन को बनाया रखा जा सके।

आगे की राह:

भूमि-अधिग्रहण की प्रक्रिया देश की प्राकृतिक संपदा और औद्योगिक विकास से बीच एक महत्त्वपूर्ण एवं संवेदनशील विषय है। अतः भूमि अधिग्रहण में प्रकृति, भूमि पर निर्भर लोगों और औद्योगिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। भूमि अधिग्रहण में होने वाली समस्याओं से निपटने के लिये निम्नलिखित प्रयास किये जा सकते हैं-

अभ्यास प्रश्न: वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका को देखते हुए देश की कृषि और औद्योगिक क्षेत्र पर भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के प्रभावों की तार्किक समीक्षा कीजिये।